सेबी ने किया Anil Ambani को 5 साल तक के लिए बैन साथ ही 25 करोड़ का जुर्माना भी देना होगा| खबर के बाद Reliance Infrastructure के Share में 11% तक की गिरावट रही |
फंड की हेराफेरी के मामले में सेबी ने अनिल अंबानी को सिक्योरिटी मार्केट (शेयर बाजार, डेट, डेरिवेटिव) से 5 साल तक के लिए बैन कर दिया है साथ ही अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना भी देना होगा । अनिल अम्बानी किसी भी लिस्टेड कंपनी में डायरेक्टर के पद पर रहने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
SEBI की ओर से जारी 222 पेज के ऑर्डर के अनुसार, जांच में निष्कर्ष निकला कि RHFL के अधिकारियों की मदद से अंबानी ने पैसों में हेरफेर की है। अनिल अम्बानी ने फंड का स्वयं उपयोग किया, परन्तु दिखाया की ये फंड ऋण के पेटे दिया गया है।
सेबी ने रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) को 6 माह के लिए बैन किया गया है साथ ही 6 लाख का जुरमाना भी लगाया है | RHFL के प्रमुख पूर्व अफसरों समेत अन्य 24 को भी शेयर मार्केट से बैन कर इन पर जुर्माना लगाया गया है|
SEBI के आदेश की प्रमुख बाते
- बोर्ड ओफ डायरेक्टर्स के इस तरह के लोन बंद करें के आदेश और कॉर्पोरेट लोन्स की समीक्षा के निर्देशों के बावजूद कंपनी मैनेजमेंट ने आदेशो को अनसुना किया|
- 25 करोड़ रुपए अनिल अंबानी पर, 27 करोड़ अमित बापना पर, 26 करोड़ रवींद्र सुधालकर पर, और 21 करोड़ पिंकेश आर शाह पर जुर्माना लगाया गया है। इसके अतिरिक्त हेराफेरी में शामिल होने के कारण 25 करोड़ रुपए का जुर्माना रिलायंस यूनिकॉर्न एंटरप्राइजेज, रिलायंस एक्सचेंज नेक्स्ट, सहित अन्य कंपनियों पर लगाया गया है |
11% रिलायंस इंफ्रा का एव रिलायंस पॉवर का शेयर 5% के करीब टूटा
सेबी के इस बैन के बाद Reliance Infra में 14%, Reliance Home Finance में 5.12% और Reliance Power में 5% की गिरावट रही ।
Anil Ambani की असफलताएं और बढ़ती कानूनी चुनौतियाँ
अनिल अंबानी की शुरुआत इंफ्रास्ट्रक्चर, रक्षा और मनोरंजन सहित विभिन्न क्षेत्रों में सिमित सफलता के साथ हुई। उत्तर प्रदेश के दादरी में एक विशाल गैस-आधारित बिजलीघर बनाने के उनके प्रयास को उस समय गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ा जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2009 में बिक्री खरीद को रद्द कर दिया। मनोरंजन उद्योग में उनके प्रयास, जिसमें एडलैब्स और ड्रीमवर्क्स के साथ सौदे शामिल हैं, भी अपेक्षित रिटर्न देने में विफल रहे।
वित्तीय असुविधाएँ तब पैदा हुईं जब उनकी दूरसंचार कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने भारी कर्ज लेना शुरू कर दिया। 2019 में, कंपनी को ऋणशोधन प्रक्रियाओं में धकेल दिया गया। उसी वर्ष, अंबानी को बहुत अधिक कानूनी दबाव का सामना करना पड़ा जब आरकॉम द्वारा एरिक्सन एबी की भारतीय इकाई को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने में विफल रहने के बाद उच्च न्यायालय ने उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया।
Mukesh Ambani ने अपने भाई की जेल जाने से बचने के लिए अंतिम समय में बुनियादी जमा देने का प्रयास किया। आगे की वैध चुनौतियाँ तब सामने आईं जब तीन चीनी बैंकों ने लंदन की एक अदालत में अनिल अंबानी पर $680 मिलियन के ऋण डिफॉल्ट को लेकर मुकदमा दायर किया। 2012 में RCOM को ऋण दिए गए, जिसमें अनिल ने कथित तौर पर एक व्यक्तिगत गारंटी दी। हालाँकि, अंबानी ने अदालत में तर्क दिया कि उन्हें केवल एक गैर-बाध्यकारी “व्यक्तिगत सांत्वना पत्र” दिया गया था, न कि उनके संसाधनों से जुड़ी कोई गारंटी। यह मामला अभी भी अनिश्चित है।