What is the 5 Financial Ratios for Stock Analysis ? निवेश से पहले यह 5 रेशियो को जानना जरुरी है, प्रॉफिट बनाने के लिए

5 Financial Ratios for Stock Analysis

What is the 5 Financial Ratios for Stock Analysis ? – जानिये क्या है 5 प्रमुख रेशियों ?

अगर आप भी किसी कम्पनी के स्टॉक्स में निवेश करने जा रहे है तो कंपनी का मुल्यांकन करने के लिए इन प्रमुख  रेशियों की जानकारी आपको होनी चाहिए | इनकी सहायता से ही हम कंपनियों का मुनाफा, उनकी क्षमता और स्टॉक्स में निवेश के जोखिम का विश्लेष्ण कर पायेंगे और लाभ कमा पाएंगे |

प्राइस टू अर्निंग रेश्यो – Price to Earnings Ratio (P/E Ratio)

कोई शेयर सस्ता है या महंगा कही हम किसी स्टॉक को बहुत ज्यादा दाम में तो नहीं खरीद रहे है इसी का पता लगाने पीई रेशो का उपयोग किया जाता है | इस रेशो की सहायता से पता लगा सकते है की स्टॉक Over Valued है या Under Valued है | यह रेशो इस बात को इंगित करता है की कंपनी के स्टॉक से 1 रुपया कमाने के लिए निवेशक कितने रूपए निवेश कर रहे है |

Formula of Price-to-Earnings Ratio (P/E Ratio)

pe ratio

ध्यान देने योग्य बाते :

  • यदि किसी कंपनी की आय कम या नकारात्मक है तो रेश्यो भ्रामक हो सकता है।
  • यह कंपनी की विकास संभावनाओं को ध्यान में नहीं रखता है, इसलिए इसका उपयोग अन्य मेट्रिक्स के साथ संयोजन में किया जाना चाहिए।

प्राइस अर्निंग ग्रोथ रेश्यो – Price Earning Growth Ratio

पीईजी का उपयोग स्टॉक के मूल्य, प्रति शेयर आय और कंपनी के ग्रोथ के बिच के सम्बन्ध को दर्शाने के लिए होता है | यह रेशो यह बताता है की आने वाले दस वर्षों में कंपनी का प्रदर्शन कैसा रहेगा | पीईजी रेशियो 1 है तो इसका मतलब है कि कंपनी का वैल्यूएशन ठीक है | एक से कम पीईजी है तो स्टॉक Under Valued  है |

Formula of Price/Earnings-to-Growth Ratio (PEG Ratio)

peg ratioध्यान देने योग्य बाते :

  • पीईजी अनुपात सटीक और यथार्थवादी आय वृद्धि अनुमानों पर निर्भर करता है, जिसका पूर्वानुमान लगाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • यह रेश्यो ऐसी कंपनिया जिनमे growth नहीं है या Negative growth है उनके लिए उपयोगी नहीं हो सकता है।

रिटर्न ऑन इक्विटी Return on Equity (ROE)

ROE का इस्तेमाल एक ही  क्षेत्र की विभिन्‍न कंपनियां के मुनाफे की तुलना करने के लिए होता है। यह बताता है शेयरहोल्डर को कंपनी से कितना रिटर्न मिला है। सालाना 20% रिटर्न ऑन इक्वटी देने वाली कंपनी को अच्छा माना जाता है। तेज ग्रोथ करने वाली कंपनी का आरओई अधिक होता है। यदि कोई कंपनी नियमित रूप से और लगातार लंबे समय से उच्च आरओई का उत्पादन कर सकती है, तो ऐसी कंपनी में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। उच्च आरओई का आमतौर पर मतलब होता है कि कंपनी लाभ कमाने के लिए अपने इक्विटी आधार का प्रभावी ढंग से उपयोग कर रही है।

Formula of Return on Equity (ROE)

roe ratioध्यान देने योग्य बाते :

  • उच्च ROE कभी-कभी परिचालन दक्षता के बजाय उच्च वित्तीय उत्तोलन का परिणाम हो सकता है।
  • यह कंपनी के उत्तोलन से जुड़े जोखिमों के बारे में जानकारी प्रदान नहीं करता है।

प्राइस टू बुक वैल्यू – Price-to-Book Ratio (P/B Ratio)

किसी भी कंपनी के कुल संपत्ति को बेच देने और बाकि की सभी देनदारियों को चूका देने के बाद कंपनी के पास जो भी पैसा बचता है उसे हम बुक वैल्यू कहते हैं। प्राइस टू बुक वैल्यू (पीबी रेशियो) कंपनी के मार्केट प्राइस से बुक वैल्यू की तुलना करता है। पीबी रेशियो अगर से कम है तो कंपनी का वैल्यूएशन कम है।  यानी निवेश करने लायक है।

  • 1 से कम P/B Ratio अनुपात यह संकेत दे सकता है कि स्टॉक का मूल्यांकन कम किया गया है या कंपनी संकट में है।
  • 1 से अधिक P/B Ratio अनुपात यह सुझाव देता है कि निवेशक कंपनी की परिसंपत्तियों के लिए पुस्तक मूल्य से अधिक भुगतान करने को तैयार हैं, संभवतः भविष्य की मजबूत संभावनाओं के कारण।

Formula of Price-to-Book Ratio (P/B Ratio)

pb ratioध्यान देने योग्य बाते :

  • P/B Ratio अनुपात बड़ी मात्रा में Intangible Assets वाली कंपनियों (जैसे की सॉफ्टवेयर कंपनियां) और के लिए उतना उपयोगी नहीं हो सकता है, क्योंकि ये पूरी तरह से Book Value में प्रदर्शित नहीं होती हैं।

डेट टू इक्विटी रेशियो Debt-to-Equity Ratio (D/E Ratio)

यह रेशियो बताता है कि किसी कंपनी पर उसके प्रमोटर्स के कुल इक्विटी के मुकाबले कितना कर्ज है।अधिक डेट टू इक्विटी रेशियो बताता है कि कंपनी मुख्य रूप से डेट फाइनेंसिंग पर निर्भर करती है, जिससे इन्वेस्टमेंट का जोखिम बढ़ जाता है। 01 से अधिक डेट टू इक्विटी रेशियो बताता है कि कंपनी पर उसके कुल इक्विटी से अधिक कर्ज है।

Formula of Debt-to-Equity Ratio (D/E Ratio)

de ratioध्यान देने योग्य बाते :

  • D/E Ratio उद्योगों के अनुसार काफी भिन्न होता है, इसलिए इसका उपयोग सेक्टर तुलनाओं को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।
  • यह कंपनी की अपने ऋण को चुकाने की क्षमता को नहीं दर्शाता है, जिसके लिए ब्याज कवरेज अनुपात जैसे अतिरिक्त मीट्रिक की आवश्यकता होती है।
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